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[Syllabus: UPSC सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा; सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-1; आधुनिक भारत का इतिहास; Topic: ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का आर्थिक प्रभाव; Sub-Topic: स्थायी बंदोबस्त प्रणाली]

अभ्यास प्रश्न: उन कारणों को सूचीबद्ध कीजिए जिन्होंने स्थायी बंदोबस्त प्रणाली की शुरुआत को प्रेरित किया। साथ ही इसके परिणामों की भी विवेचना कीजिए।

Q. List the reasons that prompted the introduction of the Permanent Settlement System. Also, discuss its consequences.

[i] दृष्टिकोण:

स्थायी बंदोबस्त प्रणाली को संक्षेप में समझाते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

इसकी शुरुआत के पीछे निहित कारणों का उल्लेख कीजिए।

इस प्रणाली को शुरू करने के परिणामों पर चर्चा कीजिए।

तदनुसार निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

[ii] परिचय: 

स्थायी बंदोबस्त वर्ष 1793 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा शुरू की गई एक भूराजस्व प्रणाली थी।

इस प्रणाली के तहत, राजस्व में कंपनी का हिस्सा जमींदारों के साथ स्थायी रूप से निर्धारित किया गया था। जमींदारों को उनके अधिकार वाली भूमि का वंशानुगत स्वामी बनाया गया था।

[iii] स्थायी बंदोबस्त प्रणाली की शुरुआत के पीछे निहित कारण:

#1. ऐसे जमींदारों का एक वर्ग विकसित करना जो ब्रिटिश हितों के प्रति वफादार थे।

#2. आशा की गई थी कि यह प्रणाली भ्रष्टाचार को समाप्त कर देगी क्योंकि अधिकारी स्वेच्छा से मूल्यांकन में परिवर्तन नहीं कर पाएंगे।

#3. इसका उद्देश्य कंपनी की ओर से प्रशासन में सुगमता सुनिश्चित करना था क्योंकि राजस्व संग्रह का भार बिचौलियों या जमींदारों को प्रदान किया गया था।

#4. कंपनी के लिए एक निश्चित और स्थिर आय सुनिश्चित करना तथा समय-समय पर आकलन और निपटान करने पर होने वाले खर्च से सरकार को बचाना।

#5. यह उम्मीद की गई थी कि संपत्ति का स्वामित्व जमींदारों को कृषि में बड़ा पूंजी निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा। कार्नवालिस ने सोचा कि कंपनी व्यापार और वाणिज्य पर कर लगाकर अपने राजस्व में वृद्धि कर सकती है।

[iv] हालांकि, स्थायी बंदोबस्त प्रणाली की शुरुआत के परिणाम दूरगामी हुए:

#1. किसानों का शोषण:

किसानों को अपनी संपत्ति के अधिकारों का आत्मसमर्पण करने के दोहरे अन्याय का सामना करना पड़ा और उन्हें पूर्णतया जमींदारों की दया पर निर्भर कर दिया गया। जमींदार आधिकारिक कर की दर से बहुत अधिक कर वसूल करते थे।

#2. कृषि उत्पादकता में गिरावट:

जमींदारों का ध्यान अधिकतम राजस्व संग्रह पर था और वे कृषि के विकास में बहुत कम रुचि लेते थे।

#3. अनुपस्थित जमींदारी वाद का उदय:

इसके तहत, जब जमींदार राजस्व दायित्वों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे उसी दौरान कलकत्ता के नए धनी लोगों ने बिना स्थानीय संपर्क के जमीनें खरीदीं। नए जमींदार प्रायः अपनी भूमि से अनुपस्थित रहते थे, जिससे किसानों में आक्रोश उत्पन्न हुआ।

#4. सामाजिक असमानता में वृद्धि:

इस व्यवस्था ने उच्च वर्गों में सामंतवाद और समाज के निचले वर्गों में दासता को सुदृढ़ किया। अनुपस्थित जमींदारीवाद ने ग्रामीण इलाकों में उत्पादित संपत्ति को शहरी केंद्रों में अपवाहित कर दिया जिससे किसान दयनीय स्थिति में आ गए।

#5. कृषि का व्यवसायीकरण:

इस व्यवस्था ने भूमि के व्यवसायीकरण को जन्म दिया जो पहले बंगाल में मौजूद नहीं था। यह व्यवस्था स्थानीय किसानों को कपास, नील और जूट जैसी नकदी फसलों की कृषि करने के लिए विवश करती थी।

[v] निष्कर्ष:

भारतीय कृषि के लिए स्थायी बंदोबस्त ने फायदे से ज्यादा नुकसान का कार्य किया। इसने किसानों की निर्धनता और ग्रामीण ऋणग्रस्तता को जन्म दिया और अंततः यह प्रणाली बंगाल और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में अकाल सहित कृषि संकट के योगदान कारकों में से एक बन गई।

"www.educationias.com" राजेन्द्र मोहविया सर द्वारा UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में शुरू की गई पहल है, जो अपनी ऐतिहासिक समझ और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करती है। उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता एक बहुआयामी दृष्टिकोण में परिलक्षित होती है जिसमें मुख्य रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा (प्रारंभिक एवं मुख्य) के विषयवार नोट्स, दैनिक उत्तर लेखन, टेस्ट सीरीज़ (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा), करंट अफेयर्स (दैनिक एवं मासिक स्तर पर) और विगत वर्षों (2023-2013) में पूछे गए प्रश्नपत्रों के व्याख्या सहित उत्तर को शामिल किया गया है।

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