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[Syllabus: UPSC सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा; सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-1; आधुनिक भारत का इतिहास; Topic: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन; Sub-Topic: प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई गई भूमिका]

अभ्यास प्रश्न: भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में, विशेष रूप से 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा कीजिए।

Q. Discuss the role played by the Indian diaspora in the freedom struggle of India, especially during the first half of the 20th century. 

[i] दृष्टिकोण:

औपनिवेशिक काल के दौरान प्रवासी भारतीयों के बारे में एक संक्षिप्त परिचय प्रदान कीजिए।

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में, विशेष रूप से 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा कीजिए।

तदनुसार निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

[ii] परिचय:

19वीं और 20वीं सदी के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय, अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे देशों में जाकर बस गए। इनमें से अधिकांश ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। 

[iii] भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में प्रवासी भारतीयों की भूमिकाः

1. यूरोप में भारतीय बुद्धिजीवी वर्गः

1905 में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने ‘इंडिया होमरूल सोसाइटी’ का गठन किया था तथा लंदन में ‘इंडिया हाउस’ नामक एक छात्रावास की स्थापना की थी।

* बाद में यह छात्रावास विनायक दामोदर सावरकर, मैडम भीकाजी कामा, मदन लाल ढींगरा जैसे अनेक भारतीय क्रांतिकारियों का केंद्र बन गया था।

1907 में मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी में तिरंगा फहराया था। तत्पश्चात् वह पेरिस चली गईं जहां उन्होंने पेरिस इंडियन सोसाइटी का गठन किया था।

* उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ और ‘मदन की तलवार’ जैसी कई क्रांतिकारी रचनाएं कीं और उनका प्रकाशन एवं वितरण भी किया।

* उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ की रचना ब्रिटिश क्राउन द्वारा वंदे मातरम् कविता पर लगाए गए प्रतिबंध की प्रतिक्रिया में तथा ‘मदन की तलवार’ की रचना मदन लाल ढींगरा की फांसी की प्रतिक्रिया में की थी। 

* इन साप्ताहिक पत्रिकाओं को फ्रांसीसी उपनिवेश पांडिचेरी (वर्तमान पुदुचेरी) के रास्ते गुप्त तरीके से भारत में लाया जाता था।

2. गदर क्रांतिकारी:

लाला हरदयाल और सोहन सिंह भकना ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय समुदाय के साथ मिलकर 1913 में ‘गदर पार्टी’ का गठन किया था।

* गदर पार्टी ने विश्व के विभिन्न केंद्रों, जैसे- रूस, आयरलैंड, भारत आदि से क्रांतिकारी समाचार एवं कविताओं के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

* इसने आयरलैंड, मिस्र और अन्य देशों के उपनिवेशवाद-विरोधी आंदोलनों के साथ सशक्त समन्वय विकसित किया था।

उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में उग्रवादी प्रवासी भारतीय बुद्धिजीवियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य किया।

* गदर आंदोलन को धन एवं हथियार उपलब्ध कराने में प्रशांत महासागर के आसपास के देशों में रहने वाले भारतीय समुदायों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी।

गदर पत्रिका में ‘कामागाटामारू’ घटना का प्रकाशन किया गया।

* इस घटना से क्षुब्ध सिंगापुर में तैनात पांचवीं मद्रास लाइट इन्फेंट्री के पंजाबी मुस्लिम सैनिकों ने 1915 में विद्रोह कर दिया।

ओटोमन और जर्मन साम्राज्यों के समर्थन से 1916 में राजा महेंद्र प्रताप, मौलाना बरकतुल्ला, चम्पक रमन पिल्लई और अन्य विद्रोहियों ने अफगानिस्तान में भारत की अनंतिम सरकार का गठन किया था।

* इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के भीतर हो रहे विद्रोहों का समन्वय करना था।

3. भारतीय युद्धबंदीः

जब दक्षिण-पूर्व एशिया पर जापान ने आक्रमण किया तब अकेले सिंगापुर से ही लगभग 45,000 भारतीय सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया गया था।

* बाद में इन्हीं सैनिकों को मिलाकर कैप्टन मोहन सिंह ने ब्रिटिश सेनाओं के विरुद्ध लड़ने हेतु भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) अथवा आजाद हिंद फौज का गठन किया।

* आगे चलकर सुभाष चंद्र बोस ने इसकी कमान संभाल ली।

INA ट्रायल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रेरक मुद्दा बन गया था। इसने सेवारत सैनिकों की निष्ठा में बदलाव किया।

* यह बदलाव रॉयल इंडियन एयरफोर्स और रॉयल इंडियन नेवी के विद्रोहों में परिलक्षित हुआ।

* तत्पश्चात् भारत की स्वतंत्रता के प्रति ब्रिटिश नीति में एक निर्णायक परिवर्तन देखा गया था।

[iv] निष्कर्ष:

समग्र रूप से, भारतीय प्रवासियों ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। जहां एक तरफ उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्देश्यों के संबंध में लोगों को जागरूक किया, वहीं दूसरी तरफ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारत की स्वतंत्रता हेतु कार्य करने वाले अन्य संगठनों को समर्थन प्रदान किया।

"www.educationias.com" राजेन्द्र मोहविया सर द्वारा UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में शुरू की गई पहल है, जो अपनी ऐतिहासिक समझ और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करती है। उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता एक बहुआयामी दृष्टिकोण में परिलक्षित होती है जिसमें मुख्य रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा (प्रारंभिक एवं मुख्य) के विषयवार नोट्स, दैनिक उत्तर लेखन, टेस्ट सीरीज़ (प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा), करंट अफेयर्स (दैनिक एवं मासिक स्तर पर) और विगत वर्षों (2023-2013) में पूछे गए प्रश्नपत्रों के व्याख्या सहित उत्तर को शामिल किया गया है।

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