UPSC GS (Pre & Mains) Telegram Channel Join Now
UPSC History Optional Telegram Channel Join Now
5/5 - (1 vote)

प्रश्न: भारत में धार्मिक प्रथाओं की अनिवार्यता को निर्धारित करने में न्यायपालिका की भूमिका का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। यह संवैधानिक लोकाचार और मूल्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है?

Critically evaluate the role of the judiciary in determining the essentiality of religious practices in India. How does this align with the constitutional ethos and values?

उत्तर: भारत में धार्मिक प्रथाओं की अनिवार्यता निर्धारित करने में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण और विवादास्पद है, क्योंकि इसमें धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाना शामिल है। पी. नवीन कुमार (2024) के मामले में यह संतुलन सामने आया, जहां मद्रास उच्च न्यायालय ने अंगप्रदक्षिणम की प्रथा को अनुमति दी।

न्यायपालिका की भूमिका

(1) ऐतिहासिक संदर्भ: न्यायपालिका ने ऐतिहासिक रूप से यह पता लगाने के लिए हस्तक्षेप किया है कि कौन-सी धार्मिक प्रथाएँ “आवश्यक” हैं, जिसकी शुरुआत शिरूर मठ मामले (1954) से हुई, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने “आवश्यक प्रथाओं” के सिद्धांत को पेश किया। यह सिद्धांत कई मामलों में महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें सबरीमाला मंदिर प्रवेश मामला ( 2018) और ट्रिपल तलाक मामला (2017) शामिल हैं।

(2) निर्णयों में असंगति: न्यायपालिका की आलोचना आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के संबंध में असंगत निर्णयों के लिए की जाती रही है। उदाहरण के लिए, दरगाह समिति, अजमेर मामले (1961 ) में, सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि केवल आवश्यक प्रथाओं को ही संरक्षित किया जाता है तथा अंधविश्वासी या गैर-आवश्यक मानी जाने वाली प्रथाओं को खारिज कर दिया। हालांकि, इस्माइल फारुकी (1995) जैसे मामलों में , न्यायालय के निर्णय में स्थापित धार्मिक महत्व की अवहेलना की गई, जो असंगति दर्शाता है।

(3) न्यायिक अतिक्रमण: आलोचकों का तर्क है कि न्यायपालिका को धार्मिक निर्णय नहीं लेना चाहिए। यह अतिक्रमण मोहम्मद फसी (1985 ) जैसे मामलों में देखा जा सकता है, जहां केरल उच्च न्यायालय ने धार्मिक ग्रंथों के बजाय अनुभवजन्य साक्ष्य के आधार पर इस्लाम में दाढ़ी बढ़ाने की अनिवार्यता पर निर्णय सुनाया था।

संवैधानिक लोकाचार के साथ न्यायिक संरेखण

(1) धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा और न्यायपालिका की भूमिका: भारत की धर्मनिरपेक्षता समदर्शिता के सिद्धांत पर आधारित है, जहां राज्य किसी भी धर्म का पक्ष नहीं लेता। न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि उसका कोई भी निर्णय किसी धर्म विशेष को अनुचित लाभ या संरक्षण न प्रदान करे।

(2) समानता के अधिकार की प्राथमिकता: अनुच्छेद 14 और 15 द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार धार्मिक प्रथाओं पर भी लागू होते हैं। न्यायपालिका को देखना होता है कि धार्मिक प्रथाएँ स्त्री, दलित या अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन न करें और सामाजिक न्याय को बाधित न करें।

(3) सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैतिकता का महत्व: संविधान अनुच्छेद 25 में ही यह स्पष्ट करता है कि धार्मिक स्वतंत्रता सार्वजनिक स्वास्थ्य, नैतिकता और व्यवस्था के अधीन है। न्यायिक निर्णयों को धार्मिक आस्थाओं के बजाय सामाजिक उत्तरदायित्व और वैज्ञानिक सोच पर आधारित होना चाहिए।

(4) सामाजिक सुधार की संवैधानिक प्रतिबद्धता: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को सामाजिक प्रगति के मार्ग में बाधा नहीं बनने दिया जा सकता। न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि सुधारात्मक कानून और नीतियाँ धर्म के नाम पर रोकी न जाएं, विशेषतः जब वे जनहित में हों।

(5) तर्कशीलता और संवैधानिक विवेक का समन्वय: किसी धार्मिक प्रथा की वैधता का निर्धारण करते समय केवल आस्था पर नहीं, बल्कि तर्कशीलता, संवैधानिक मूल्यबोध और मानव गरिमा जैसे आयामों पर विचार आवश्यक है, जिससे राज्य की धर्मनिरपेक्षता और संविधान की सर्वोच्चता बनी रह सके।

भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में न्यायपालिका की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह धार्मिक प्रथाओं और संवैधानिक मूल्यों के बीच संतुलन स्थापित करे। सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता महत्त्वपूर्ण है, परंतु यह समानता, सार्वजनिक भलाई और संविधान की सर्वोच्चता के अधीन होनी चाहिए।

"www.educationias.in" एक अनुभव आधारित पहल है जिसे राजेन्द्र मोहविया सर ने UPSC CSE की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से शुरू किया है। यह पहल विद्यार्थियों की समझ और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ाने के लिए विभिन्न कोर्स प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, सामान्य अध्ययन और इतिहास वैकल्पिक विषय से संबंधित टॉपिक वाइज मटेरियल, विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का मॉडल उत्तर, प्रीलिम्स और मेन्स टेस्ट सीरीज़, दैनिक उत्तर लेखन, मेंटरशिप, करंट अफेयर्स आदि, ताकि आप अपना IAS बनने का सपना साकार कर सकें।

Leave a Comment

Translate »
www.educationias.com
1
Hello Student
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button