प्रश्न: भारत में राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर केंद्र सरकार की कर नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। यह सहकारी संघवाद को कैसे प्रभावित करता है?
Analyze the impact of the Union government’s tax policies on the financial autonomy of states in India. How does this influence cooperative federalism?
उत्तर: भारत में संघीय ढांचे के तहत, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता केंद्र सरकार की कर नीतियों से प्रभावित होती है। केंद्र द्वारा करों का संग्रह और वितरण राज्यों के आर्थिक प्रबंधन और विकास की रणनीतियों को प्रभावित करता है, जिससे सहकारी संघवाद पर असर पड़ता है।
केंद्र सरकार की कर नीतियों का प्रभाव
(1) वस्तु एवं सेवा कर (GST) का प्रभाव: GST की नीति ने राज्यों के कराधान अधिकारों में कमी की है। केंद्र ने इस पर अपना नियंत्रण बढ़ाया है, जिससे राज्यों को अपनी आंतरिक कर नीतियों में लचीलापन कम हुआ है और वे केंद्रीय फैसलों के अधीन हो गए हैं।
(2) केंद्रीय करों से राज्यों की निर्भरता: केंद्र सरकार राज्यों को अपनी योजनाओं के लिए अनुदान देती है, जिससे राज्यों की वित्तीय स्वतंत्रता कम हो गई है। इस निर्भरता ने राज्यों को अपनी प्राथमिकताएँ तय करने में कठिनाई दी है, जिससे उनकी स्वायत्तता पर दबाव बढ़ता है।
(3) केंद्रीय हस्तक्षेप और अनुदान वितरण: केंद्र सरकार के नीति हस्तक्षेप ने राज्यों की स्वायत्तता को सीमित किया है। राज्य सरकारें केंद्रीय योजनाओं पर निर्भर हो गई हैं और केंद्र द्वारा दिए गए अनुदान से उनकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे संघीय ढांचे में असंतुलन उत्पन्न होता है।
(4) राजस्व वितरण में असमानता: केंद्र द्वारा राज्यों के बीच राजस्व का वितरण असमान है, जिससे कुछ राज्य अधिक संसाधनों से सम्पन्न होते हैं, जबकि अन्य राज्य वित्तीय संकट का सामना करते हैं। यह असमान वितरण राज्य की वित्तीय स्वायत्तता में और बाधाएँ डालता है।
(5) राज्य के कराधान अधिकारों में कटौती: केंद्र की नीतियाँ राज्यों के कराधान अधिकारों को नियंत्रित करती हैं। इससे राज्य अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप कर नीतियाँ लागू करने में असमर्थ होते हैं, जो उनकी स्वायत्तता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और सहकारी संघवाद को प्रभावित करता है।
सहकारी संघवाद पर प्रभाव
(1) संघीय ढांचे में असंतुलन: केंद्र की नीतियाँ राज्यों के बीच संसाधनों के असमान वितरण को बढ़ावा देती हैं। इससे केंद्र और राज्य के बीच शक्ति का संतुलन बिगड़ता है और राज्य अपने विकास के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पाते, जिससे संघीय ढांचे में असंतुलन उत्पन्न होता है।
(2) राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप: केंद्र सरकार की नीतियों ने राज्यों के अधिकारों में निरंतर हस्तक्षेप किया है। इससे राज्य सरकारें अपने निर्णयों और नीतियों को स्वतंत्र रूप से लागू करने में सक्षम नहीं हैं, जो सहकारी संघवाद के सिद्धांत को कमजोर करता है।
(3) सहकारी संघवाद की कमजोर होती भावना: राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के प्रभाव के कारण अपनी वित्तीय नीतियाँ लागू करने में कठिनाई होती है। इससे केंद्र और राज्य के बीच सहयोग की भावना कमजोर होती है, जो सहकारी संघवाद की मूल भावना के खिलाफ है।
(4) राज्यों की विकासात्मक स्वतंत्रता पर बाधा: केंद्र सरकार के केंद्रीयकरण ने राज्यों की विकासात्मक नीतियों को प्रभावित किया है। राज्य अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार नीतियाँ नहीं बना सकते, जिससे उनके विकास की गति धीमी होती है और सहकारी संघवाद को नुकसान पहुँचता है।
(5) केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग की कमी: केंद्र सरकार की नीतियों ने राज्य सरकारों के साथ सहयोग की भावना को कमजोर किया है। राज्य अपनी वित्तीय नीतियों में स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, जिससे सहकारी संघवाद की भावना में कमी आती है और संघीय ढांचे में तनाव पैदा होता है।
केंद्र की कर नीतियाँ राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को कमजोर करती हैं और सहकारी संघवाद की भावना को प्रभावित करती हैं। इसके परिणामस्वरूप, संघीय ढांचे में असंतुलन उत्पन्न होता है और राज्यों को विकासात्मक स्वतंत्रता की कमी होती है।