UPSC GS (Pre & Mains) Telegram Channel Join Now
UPSC History Optional Telegram Channel Join Now
5/5 - (1 vote)

प्रश्न: म्यांमार में वर्तमान मानवीय संकट और भारत के लिए इसके निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए। क्या भारत को संकट की प्रतिक्रिया में म्यांमार के प्रति अपनी नीति में संशोधन करना चाहिए? अपने उत्तर का औचित्य सिद्ध कीजिए।

Analyze the current humanitarian crisis in Myanmar and its implications for India. Should India revise its policy towards Myanmar in response to the crisis? Justify your answer.

उत्तर: हाल ही में, म्यांमार में सैन्य शासन और जातीय सशस्त्र संगठनों के बीच बढ़ते संघर्ष ने गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है, जिससे भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा, भू-राजनीतिक हितों और मानवीय प्रतिबद्धताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस स्थिति में भारत की नीति की पुनर्समीक्षा आवश्यक हो गई है।​

म्यांमार संकट के प्रमुख पहलू

(1) व्यापक मानवीय आपदा: मार्च 2025 में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप और जारी संघर्षों के कारण म्यांमार में 6.3 मिलियन से अधिक लोग मानवीय सहायता के लिए निर्भर हो गए हैं, जिससे खाद्य, चिकित्सा और आश्रय की गंभीर कमी उत्पन्न हुई है। ​

(2) सीमा-पार शरणार्थी संकट: संघर्षों के चलते म्यांमार से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शरणार्थियों की आमद बढ़ी है, जिससे स्थानीय संसाधनों पर दबाव और सामाजिक-सांस्कृतिक तनाव उत्पन्न हो रहे हैं, जो भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। ​

(3) चीन का बढ़ता प्रभाव: म्यांमार में चीन समर्थित जातीय सशस्त्र संगठनों का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे भारत की पारंपरिक कूटनीतिक पकड़ कमजोर हो रही है और क्षेत्रीय संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ​

(4) भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पर प्रभाव: म्यांमार की अस्थिरता भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया तक संपर्क और व्यापारिक विस्तार को बाधित कर रही है, जिससे भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक एवं आर्थिक हित प्रभावित हो रहे हैं। ​

(5) मानवीय दायित्व और छवि: क्षेत्रीय शक्ति होने के नाते भारत पर यह नैतिक दबाव है कि वह मानवीय सहायता देकर अपनी जिम्मेदार वैश्विक छवि को सुदृढ़ करे और दक्षिण एशिया में सहानुभूतिशील नेतृत्व की भूमिका का निर्वाह करे।​

भारत की नीति में संशोधन की आवश्यकता

(1) एकपक्षीय जुंटा समर्थन की सीमा: भारत की परंपरागत नीति मुख्यतः सैन्य शासन पर केंद्रित रही है, किंतु वर्तमान परिदृश्य में यह एकपक्षीय दृष्टिकोण म्यांमार की जमीनी वास्तविकताओं से असंगत और अप्रभावी सिद्ध हो रहा है।​

(2) ईएओ से संवाद की आवश्यकता: वर्तमान में जातीय सशस्त्र संगठनों का नियंत्रण कई रणनीतिक क्षेत्रों तक विस्तारित हो गया है, अतः भारत को उन्हें पूर्णतः नज़रअंदाज़ करने की बजाय नियंत्रित और व्यावहारिक संवाद की रणनीति विकसित करनी चाहिए। ​

(3) बहुपक्षीय कूटनीति को बढ़ावा: भारत को ASEAN और BIMSTEC जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से म्यांमार संकट के समाधान हेतु बहुपक्षीय प्रयासों को समर्थन देना चाहिए ताकि उसका कूटनीतिक हस्तक्षेप वैध और प्रभावशाली बन सके।​

(4) मानवीय सहायता को प्राथमिकता: भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में चिकित्सा, खाद्य और आवास सहायता जैसे मानवीय प्रयासों को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि वह अपने प्रभाव क्षेत्र में स्थिरता और सौहार्द बनाए रख सके।​

(5) चीन के प्रभाव का संतुलन: चीन की बढ़ती सक्रियता के परिप्रेक्ष्य में भारत को संतुलित और लचीली रणनीति अपनानी होगी, जिसमें वह म्यांमार की आंतरिक शक्तियों से बहुपक्षीय संवाद बनाए रखे और अपने हितों की रक्षा करे।​

म्यांमार संकट भारत के लिए सामरिक, कूटनीतिक एवं मानवीय तीनों स्तरों पर एक जटिल चुनौती प्रस्तुत करता है। अपनी विदेश नीति में संशोधन द्वारा भारत न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है, बल्कि दक्षिण एशिया में स्थिरता का संवाहक भी बन सकता है।

"www.educationias.in" एक अनुभव आधारित पहल है जिसे राजेन्द्र मोहविया सर ने UPSC CSE की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से शुरू किया है। यह पहल विद्यार्थियों की समझ और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ाने के लिए विभिन्न कोर्स प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, सामान्य अध्ययन और इतिहास वैकल्पिक विषय से संबंधित टॉपिक वाइज मटेरियल, विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों का मॉडल उत्तर, प्रीलिम्स और मेन्स टेस्ट सीरीज़, दैनिक उत्तर लेखन, मेंटरशिप, करंट अफेयर्स आदि, ताकि आप अपना IAS बनने का सपना साकार कर सकें।

Leave a Comment

Translate »
www.educationias.com
1
Hello Student
Hello 👋
Can we help you?
Call Now Button