प्रश्न: भारत में कृषि उत्पादकता और पोषण सुरक्षा के बीच संबंधों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। साथ ही दोनों को सतत तरीके से बढ़ाने के उपाय सुझाइए।
Critically analyze the relationship between agricultural productivity and nutritional security in India. Also suggest measures to enhance both in a sustainable manner.
उत्तर: भारत में कृषि उत्पादकता का अर्थ प्रति इकाई भूमि में अधिकतम उत्पादन प्राप्त करना है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। पोषण सुरक्षा का लक्ष्य सभी नागरिकों को पर्याप्त और संतुलित आहार उपलब्ध कराना है। ये दोनों कारक एक-दूसरे से जुड़े हैं क्योंकि कृषि उत्पादन की स्थिरता से ही पोषण स्तर में सुधार संभव है। टिकाऊ कृषि और पोषण योजनाओं द्वारा इन दोनों को संतुलित किया जा सकता है।
भारत में कृषि उत्पादकता और पोषण सुरक्षा के अंतर्संबंध
(1) खाद्य उत्पादन और पोषण स्तर: भारत में कृषि उत्पादकता बढ़ने से खाद्य आपूर्ति में वृद्धि होती है, जिससे पोषण स्तर में सुधार संभव हो पाता है। पर्याप्त उत्पादन होने पर लोगों को विविध खाद्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं, जिससे संतुलित आहार सुनिश्चित होता है।
(2) फसल विविधीकरण: एकल कृषि प्रणाली की बजाय बहु-फसल खेती करने से न केवल भूमि की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि नागरिकों को पौष्टिक आहार भी प्राप्त होता है। दलहन, तिलहन, मोटे अनाज जैसी विविध फसलें पोषण स्तर को बढ़ाने में सहायक होती हैं।
(3) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: भारत में जल संकट और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है, जिससे पोषण सुरक्षा भी बाधित होती है। जल प्रबंधन और जैविक खेती जैसी टिकाऊ पद्धतियों का उपयोग अनिवार्य हो जाता है।
(4) आर्थिक सशक्तिकरण: जब किसानों की आय बढ़ती है तो वे बेहतर खाद्य पदार्थ खरीद सकते हैं, जिससे उनका और समाज का पोषण स्तर बेहतर होता है। सरकार की योजनाओं से आर्थिक समर्थन मिलने पर कृषि और पोषण दोनों में सुधार आता है।
(5) नीतिगत हस्तक्षेप: कृषि और पोषण सुरक्षा के संतुलन के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएँ, जैसे पीएम-किसान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, और पोषण अभियान, खाद्य उपलब्धता एवं पोषण स्तर में वृद्धि हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत में कृषि उत्पादकता और पोषण सुरक्षा को सतत रूप से बढ़ाने के उपाय
(1) जैविक और टिकाऊ कृषि: रासायनिक उर्वरकों की बजाय जैविक खाद और प्राकृतिक पद्धतियों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, जिससे टिकाऊ कृषि संभव होती है और उत्पादकता एवं पोषण स्तर में सुधार होता है।
(2) प्रौद्योगिकी एवं नवाचार: स्मार्ट खेती, ड्रोन, सेंसर और आधुनिक सिंचाई प्रणालियों का उपयोग कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है, जिससे खाद्य उत्पादन की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा सकती है।
(3) जल संरक्षण रणनीति: वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई और जल पुनर्चक्रण तकनीकों को अपनाने से कृषि की स्थिरता बढ़ती है, जिससे खाद्य उत्पादन की स्थिरता बनी रहती है और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
(4) पोषण जागरूकता अभियान: संतुलित आहार की जानकारी देने वाले शैक्षिक कार्यक्रम और जागरूकता अभियान किसानों और उपभोक्ताओं को सही खाद्य पदार्थ चुनने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे पोषण स्तर में सुधार होता है।
(5) सरकारी समर्थन और नीति सुधार: न्यूनतम समर्थन मूल्य, खाद्य सब्सिडी, किसानों के लिए अनुदान और अनुसंधान को बढ़ावा देकर कृषि उत्पादकता में वृद्धि संभव है, जिससे पोषण सुरक्षा को भी मजबूत किया जा सकता है।
भारत में कृषि उत्पादकता और पोषण सुरक्षा का संतुलित विकास आवश्यक है ताकि खाद्य उपलब्धता और पोषण स्तर बेहतर हो सके। आधुनिक तकनीकों, टिकाऊ कृषि और सशक्त नीतिगत उपायों से इन दोनों में सुधार किया जा सकता है। यदि कृषि क्षेत्र को पोषण सुरक्षा के अनुरूप विकसित किया जाए, तो सतत विकास की दिशा में प्रभावी कदम बढ़ाए जा सकते हैं।