प्रश्न: आम तौर पर देश की अर्थव्यवस्था कृषि से उद्योग और फिर बाद में सेवाओं में स्थानांतरित हो जाते हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था सीधे कृषि से सेवाओं में स्थानांतरित हो गया है। देश में उद्योग की तुलना में सेवा क्षेत्र में भारी वृद्धि के क्या कारण हैं? क्या मजबूत औद्योगिक आधार के बिना भारत एक विकसित देश बन सकता है?
Generally a country’s economy shifts from agriculture to industry and then to services, but India’s economy has shifted directly from agriculture to services. What are the reasons for the huge growth of the service sector compared to industry in the country? Can India become a developed country without a strong industrial base?
उत्तर: किसी भी देश में आर्थिक विकास का सामान्य क्रम कृषि से उद्योग और फिर सेवा क्षेत्र की ओर बढ़ता है, लेकिन भारत सीधे कृषि से सेवा क्षेत्र में स्थानांतरण हुआ। इस असामान्य प्रवृत्ति ने विनिर्माण उद्योग को अपेक्षाकृत कमजोर बना दिया। आईटी, वित्त और दूरसंचार की तेज़ी से वृद्धि ने सेवा क्षेत्र को सशक्त किया, जबकि औद्योगिक विकास अपेक्षित गति नहीं पकड़ सका।
भारत में सेवा क्षेत्र में भारी वृद्धि के कारण
(1) वैश्वीकरण और आईटी क्रांति: वैश्वीकरण और आईटी उद्योग के तीव्र विकास ने सेवा क्षेत्र को अत्यधिक बढ़ावा दिया। वैश्विक कंपनियों ने भारत में आउटसोर्सिंग को बढ़ाया, जिससे यह क्षेत्र तेजी से विस्तारित हुआ और भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिला।
(2) शिक्षित कार्यबल की उपलब्धता: भारत में तकनीकी शिक्षा और अंग्रेजी भाषा में दक्ष कार्यबल की उपलब्धता ने सेवा क्षेत्र को मजबूती प्रदान की। इससे आईटी और वित्तीय सेवाओं का तेज़ी से विस्तार हुआ, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति सुदृढ़ हुई।
(3) अवसंरचनात्मक बाधाएँ: भारत में औद्योगिक क्षेत्र की धीमी प्रगति का एक बड़ा कारण आधारभूत ढांचे की कमज़ोरी है। परिवहन, बिजली, और लॉजिस्टिक्स जैसी सुविधाओं की सीमित उपलब्धता ने विनिर्माण उद्योग की गति को बाधित किया है।
(4) नीतिगत प्राथमिकता: उदारीकरण के बाद सरकार ने सेवा क्षेत्र को अधिक समर्थन दिया, जिससे इसका विकास तेज़ हुआ। निवेश प्रोत्साहन, टैक्स छूट और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाली नीतियों ने सेवा उद्योग को सशक्त किया और इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिलाई।
(5) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): सेवा क्षेत्र ने विदेशी निवेश को अधिक आकर्षित किया, विशेष रूप से आईटी और वित्तीय सेवाओं में। वैश्विक कंपनियों ने यहाँ व्यापार के नए अवसर देखे, जिससे यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में अधिक तेज़ी से बढ़ा।
औद्योगिक विकास की आवश्यकता और भारत का भविष्य
(1) स्थायी आर्थिक विकास: संतुलित विकास के लिए औद्योगिक क्षेत्र को सशक्त करना आवश्यक है। सेवा क्षेत्र के साथ-साथ विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा देकर देश की आर्थिक स्थिरता को मजबूत किया जा सकता है।
(2) रोज़गार अवसरों का विस्तार: औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन में सहायक होगा। विनिर्माण क्षेत्र कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है, जिससे बेरोजगारी दर में कमी आएगी।
(3) आत्मनिर्भरता और निर्यात वृद्धि: मजबूत औद्योगिक आधार के बिना भारत उच्च तकनीकी उत्पादों का निर्माण नहीं कर सकता, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ेगी। यदि विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा दिया जाए, तो भारत आत्मनिर्भर बनने के साथ निर्यात में वृद्धि कर सकता है।
(4) सामरिक एवं आर्थिक सुरक्षा: रक्षा और रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मजबूत औद्योगिक आधार अनिवार्य है। घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरण और उन्नत तकनीकी उत्पादों का निर्माण करने से भारत की सुरक्षा और आर्थिक मजबूती सुनिश्चित होगी।
(5) औद्योगिक नीतियों का पुनर्गठन: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करके औद्योगिक क्षेत्र को मज़बूत किया जा सकता है। इससे विनिर्माण क्षेत्र को आवश्यक पूंजी, तकनीक और श्रमबल प्राप्त होगा, जिससे देश दीर्घकालिक विकास की दिशा में आगे बढ़ सकेगा।
भारत का सेवा क्षेत्र अत्यधिक विकसित हुआ है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र कमजोर बना हुआ है। संतुलित विकास के लिए विनिर्माण उद्योग को प्राथमिकता देना आवश्यक है। औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करके रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में प्रभावी रूप से आगे बढ़ सके।