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प्रश्न: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के विनियामक उपायों के रुपये से जुड़े डेरिवेटिव बाज़ार की तरलता और स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का परीक्षण कीजिए ये उपाय व्यापक आर्थिक परिवेश को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं?

Examine the implications of the Reserve Bank of India’s (RBI) regulatory measures on the liquidity and stability of the rupee-linked derivatives market. How can these measures impact the broader economic environment?

उत्तर: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रुपये से जुड़े डेरिवेटिव बाज़ार को विनियमित करने के लिए विभिन्न उपाय लागू करता है, जिससे इसकी तरलता और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। डेरिवेटिव वित्तीय साधन होते हैं, जिनका मूल्य किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति पर आधारित होता है। RBI के विनियामक उपायों का उद्देश्य बाज़ार में पारदर्शिता बढ़ाना, जोखिम प्रबंधन को सुदृढ़ करना और अनावश्यक सट्टेबाजी को रोकना है। इन उपायों से भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित होती है और व्यापक आर्थिक परिवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रुपये से जुड़े डेरिवेटिव बाज़ार की तरलता और स्थिरता पर प्रभाव

(1) तरलता में सुधार: RBI के विनियामक उपायों से रुपये से जुड़े डेरिवेटिव बाज़ार में तरलता बढ़ती है, जिससे निवेशकों को आसानी से लेन-देन करने की सुविधा मिलती है। यह उपाय बाज़ार में अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित करता है, जिससे लेन-देन की मात्रा बढ़ती है और बाज़ार अधिक सक्रिय होता है।

(2) जोखिम प्रबंधन: इन उपायों से बाज़ार सहभागियों को जोखिम प्रबंधन के लिए बेहतर साधन उपलब्ध होते हैं, जिससे वित्तीय अस्थिरता को कम किया जा सकता है। RBI के नियमों के तहत, वित्तीय संस्थानों को जोखिम प्रबंधन के लिए पर्याप्त पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जिससे बाज़ार में स्थिरता बनी रहती है।

(3) सट्टेबाजी पर नियंत्रण: RBI अनावश्यक सट्टेबाजी को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करता है, जिससे बाज़ार में स्थिरता बनी रहती है और अस्थिरता कम होती है। यह उपाय अत्यधिक सट्टेबाजी को सीमित करता है, जिससे डेरिवेटिव बाज़ार में वास्तविक आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।

(4) पारदर्शिता में वृद्धि: विनियामक उपायों से बाज़ार में पारदर्शिता बढ़ती है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और बाज़ार की विश्वसनीयता मजबूत होती है। RBI के नियमों के तहत, वित्तीय संस्थानों को लेन-देन की विस्तृत जानकारी प्रदान करनी होती है, जिससे बाज़ार सहभागियों को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

(5) नियामक अनुपालन: RBI के नियमों के अनुपालन से वित्तीय संस्थानों की जवाबदेही बढ़ती है, जिससे बाज़ार में अनुशासन बना रहता है और स्थिरता सुनिश्चित होती है। यह उपाय वित्तीय संस्थानों को सख्त नियामक मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे बाज़ार में अनियमितताओं को रोका जा सकता है।

व्यापक आर्थिक परिवेश पर प्रभाव

(1) मुद्रा विनिमय दर स्थिरता: RBI के उपायों से रुपये की विनिमय दर में स्थिरता आती है, जिससे आयात और निर्यात पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह स्थिरता व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाती है और विदेशी निवेशकों को भारतीय बाज़ार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

(2) विदेशी निवेश को बढ़ावा: स्थिर और पारदर्शी डेरिवेटिव बाज़ार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। RBI के नियमों के तहत, विदेशी निवेशकों को सुरक्षित और पारदर्शी निवेश वातावरण मिलता है, जिससे पूंजी प्रवाह बढ़ता है।

(3) मुद्रास्फीति नियंत्रण: RBI के उपायों से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को स्थिर मूल्य स्तर मिलता है। यह उपाय रुपये की स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है, जिससे आयातित वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता।

(4) वित्तीय प्रणाली की मजबूती: इन उपायों से भारतीय वित्तीय प्रणाली अधिक मजबूत और लचीली बनती है, जिससे आर्थिक संकटों का प्रभाव कम होता है। RBI के नियमों के तहत, वित्तीय संस्थानों को पर्याप्त पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जिससे वे आर्थिक अस्थिरता का सामना करने में सक्षम होते हैं।

(5) आर्थिक विकास को गति: स्थिर और तरल डेरिवेटिव बाज़ार से पूंजी प्रवाह बढ़ता है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। यह उपाय भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और नवाचार को बढ़ावा मिलता है।

RBI के विनियामक उपाय रुपये से जुड़े डेरिवेटिव बाज़ार की तरलता और स्थिरता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये उपाय व्यापक आर्थिक परिवेश को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और वित्तीय स्थिरता बनी रहती है। इन उपायों से भारतीय वित्तीय प्रणाली अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और प्रभावी बनती है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

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