प्रश्न: ग्रामीण भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में ब्रॉयलर मुर्गी पालन की भूमिका पर चर्चा कीजिए। इस उद्योग से जुड़ी पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं क्या हैं?
Discuss the role of broiler chicken farming in promoting economic development in rural India. What are the environmental and public health concerns associated with this industry?
उत्तर: ब्रॉयलर मुर्गी पालन ग्रामीण भारत में आजीविका सुधार और पोषण सुरक्षा का एक प्रमुख माध्यम बन चुका है। यह स्वरोजगार, कृषि से जुड़े वैकल्पिक आय स्रोत और मांस उत्पादन में वृद्धि प्रदान करता है। सीमित निवेश और त्वरित लाभ के कारण, यह व्यवसाय किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए आकर्षक बनता जा रहा है।
हालाँकि, इसकी बढ़ती लोकप्रियता के साथ पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी संबोधित करने की आवश्यकता है। सतत विकास की रणनीति अपनाकर इस क्षेत्र को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाया जा सकता है।
ब्रॉयलर मुर्गी पालन की ग्रामीण भारत में आर्थिक भूमिका:
(1) रोजगार सृजन: यह व्यवसाय किसानों, छोटे उद्यमियों और श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन फार्म, चारा उद्योग और व्यापारिक नेटवर्क के विस्तार से हजारों लोगों को स्थायी आजीविका मिल सकती है।
(2) आय वृद्धि: ब्रॉयलर मुर्गी पालन से किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिलता है। इसके माध्यम से वे अपनी पारंपरिक कृषि आय के अतिरिक्त धनराशि प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है।
(3) पोषण सुरक्षा: ब्रॉयलर मांस प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। सस्ती और सुलभ प्रोटीन आपूर्ति से लोगों की आहार गुणवत्ता में सुधार होता है।
(4) कृषि से जुड़ी विविधता: मुर्गी पालन, कृषि क्षेत्र में विविधता लाकर किसानों को अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभदायक है, जो बदलते जलवायु या कृषि जोखिमों के कारण अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।
(5) निर्यात और व्यापार: भारत में ब्रॉयलर मांस के बढ़ते उत्पादन से निर्यात की संभावना बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर पोल्ट्री उत्पादों की बढ़ती मांग से विदेशी मुद्रा अर्जन के अवसर भी निर्मित हो सकते हैं।
ब्रॉयलर मुर्गी पालन से जुड़ी पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताएँ:
(1) जल और वायु प्रदूषण: मुर्गी पालन से उत्पन्न अपशिष्ट और उत्सर्जित गैसें जल स्रोतों को दूषित कर सकती हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित होता है। अमोनिया और अन्य प्रदूषक तत्व हवा की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।
(2) रोगों का प्रसार: अत्यधिक भीड़भाड़ वाले पोल्ट्री फार्म में संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। एवियन इन्फ्लूएंजा और अन्य वायरस मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।
(3) एंटीबायोटिक प्रतिरोध: मुर्गियों को दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) को बढ़ा सकता है। इससे मनुष्यों में दवाओं की प्रभावशीलता कम हो सकती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो सकता है।
(4) पशु कल्याण: मुर्गियों को सीमित स्थानों में रखा जाता है, जिससे उनके प्राकृतिक व्यवहार और जीवन गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे जानवरों की नैतिक देखभाल का उल्लंघन हो सकता है।
(5) कार्बन उत्सर्जन: बड़े पैमाने पर मुर्गी पालन से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या को गंभीर रूप से बढ़ावा मिल सकता है। ऊर्जा और संसाधनों की उच्च खपत इस उद्योग की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
ब्रॉयलर मुर्गी पालन ग्रामीण भारत में आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह रोजगार सृजन, आय वृद्धि और पोषण सुरक्षा का एक प्रभावी माध्यम है। हालाँकि, इसके पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए सतत और नैतिक पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है।