प्रश्न: भारत में पुलिस व्यवस्था के लिए एफआईआर के पंजीकरण और उनके निहितार्थ के संबंध में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत नए प्रावधानों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
Critically analyze the new provisions under the Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS) concerning the registration of FIRs and their implications for policing in India.
उत्तर: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए बनाई गई एक कानूनी पहल है। इसके तहत एफआईआर पंजीकरण के लिए कई नए प्रावधान पेश किए गए हैं, जिनका उद्देश्य शिकायतों का त्वरित निवारण और पारदर्शिता बढ़ाना है।
एफआईआर पंजीकरण के प्रमुख प्रावधान
(1) क्षेत्राधिकार की परवाह किए बिना अनिवार्य पंजीकरण: बीएनएसएस के तहत, पुलिसकर्मी को किसी भी मामले का एफआईआर पंजीकरण बिना क्षेत्राधिकार की परवाह किए अनिवार्य रूप से करना होता है। इसे ‘जीरो एफआईआर’ कहा जाता है, जिससे नागरिकों को न्याय पाने में आसानी होती है और किसी भी पुलिस स्टेशन में उनकी शिकायत दर्ज की जा सकती है।
(2) इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से एफआईआर पंजीकरण: एफआईआर को अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी दर्ज किया जा सकता है। हालांकि इसे तीन दिनों के भीतर पुलिस स्टेशन जाकर हस्ताक्षरित करना होगा अन्यथा पुलिसकर्मी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज एफआईआर रद्द कर देगा। यह प्रावधान विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में शिकायतों के पंजीकरण को आसान बनाता है।
(3) एफआईआर दर्ज न करने पर दंडात्मक कार्रवाई: अगर पुलिस अपनी मनमानी दिखाते हुए एफआईआर दर्ज नहीं करती है, तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह प्रावधान पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह बनाता है, ताकि वे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न करें।
(4) समयबद्ध पंजीकरण और निष्पक्षता: ऑनलाइन एफआईआर प्रणाली समयबद्ध शिकायत पंजीकरण सुनिश्चित करती है, जिससे पुलिस की जवाबदेही बढ़ती है। यह प्रक्रिया हस्तक्षेप और भेदभाव की संभावना को कम करती है तथा पीड़ितों को बिना भौगोलिक या सामाजिक बाधाओं के न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर देती है।
(5) डेटा-संचालित पुलिसिंग: ऑनलाइन एफआईआर प्रणाली से आपराधिक प्रवृत्तियों का डिजिटल ट्रैक तैयार होता है, जिससे विश्लेषणात्मक निर्णय और अपराध निवारण रणनीतियाँ बेहतर बनती हैं। यह तकनीकी हस्तक्षेप पुलिसिंग को पारंपरिक ढांचे से हटाकर आधुनिक डेटा-संचालित व्यवस्था की ओर अग्रसर करता है।
एफआईआर पंजीकरण के निहितार्थ
(1) पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि: एफआईआर की ऑनलाइन और जीरो एफआईआर प्रक्रिया पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है। शिकायतों का दस्तावेजीकरण पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार करता है और भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है।
(2) न्याय तक बेहतर पहुंच: इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर पंजीकरण से शिकायतकर्ता को न्याय तक बेहतर पहुंच मिलती है, विशेष रूप से उन लोगों को जो पुलिस स्टेशन तक नहीं पहुंच सकते। यह प्रक्रिया अधिक समावेशी और सुलभ बनती है।
(3) नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा: पुलिस को एफआईआर दर्ज करने की अनिवार्यता और दंडात्मक प्रावधान पुलिस अधिकारियों को नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करने से रोकते हैं और शिकायतकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
(4) तकनीकी दक्षता में वृद्धि: इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर पंजीकरण से तकनीकी दक्षता में सुधार होता है। यह पुलिस अधिकारियों को अधिक सक्षम बनाता है, जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों को अधिक प्रभावी तरीके से निभा सकते हैं।
(5) भ्रष्टाचार के खिलाफ निवारक उपाय: एफआईआर पंजीकरण में दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान पुलिस अधिकारियों के लिए निवारक कार्य करता है। यह उन्हें शिकायतों को मनमाने तरीके से न रद्द करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे पुलिस व्यवस्था में सुधार होता है।
बीएनएसएस के एफआईआर पंजीकरण प्रावधान भारतीय पुलिस व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय की प्रक्रिया में गति लाते हैं, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन के लिए तकनीकी और संसाधन संबंधित चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।