प्रश्न: भारत के जनसांख्यिकीय और आर्थिक परिदृश्य के संदर्भ में अंशदायी पेंशन प्रणाली से परिभाषित लाभ प्रणाली में संक्रमण की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिए।
Discuss the challenges and opportunities of transitioning from a contributory pension system to a defined benefit system in the context of India’s demographic and economic scenario.
उत्तर: भारत में पेंशन प्रणाली का विकास आर्थिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के अनुरूप हुआ है। अंशदायी पेंशन प्रणाली में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं, जबकि परिभाषित लाभ प्रणाली में सरकार या नियोक्ता पेंशन राशि की गारंटी देते हैं। जनसंख्या वृद्धि, वृद्धजन अनुपात में वृद्धि और वित्तीय स्थिरता की आवश्यकता के कारण भारत अंशदायी पेंशन प्रणाली की ओर बढ़ रहा है। यह परिवर्तन वित्तीय स्थिरता, सामाजिक सुरक्षा और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को प्रभावित करता है।
संक्रमण की चुनौतियाँ
(1) वित्तीय अनिश्चितता: परिभाषित लाभ प्रणाली में सरकार पेंशन की गारंटी देती है, जबकि अंशदायी प्रणाली में लाभ बाजार की अस्थिरता पर निर्भर करता है, जिससे वित्तीय अनिश्चितता बढ़ती है। यह प्रणाली सेवानिवृत्त व्यक्तियों को निश्चित आय की गारंटी नहीं देती, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
(2) निम्न आय वर्ग की कठिनाइयाँ: कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए नियमित योगदान करना कठिन हो सकता है, जिससे उनकी सेवानिवृत्ति सुरक्षा प्रभावित होती है। यह प्रणाली उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिनकी आय अस्थिर है या जो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(3) प्रशासनिक जटिलताएँ: अंशदायी प्रणाली में निवेश प्रबंधन, योगदान रिकॉर्डिंग और लाभ वितरण की जटिलताएँ होती हैं, जिससे प्रशासनिक लागत बढ़ती है। यह प्रणाली पारदर्शिता और प्रभावी क्रियान्वयन की मांग करती है, जिससे सरकारी और निजी संस्थानों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
(4) जनसंख्या वृद्धावस्था का प्रभाव: भारत में वृद्धजन अनुपात बढ़ रहा है, जिससे पेंशन प्रणाली पर दबाव बढ़ता है और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता चुनौतीपूर्ण बनती है। बढ़ती वृद्ध जनसंख्या के कारण पेंशन निधि पर अधिक भार पड़ सकता है, जिससे भविष्य में वित्तीय असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
(5) निवेश जोखिम: अंशदायी प्रणाली में पेंशन निधि को बाजार में निवेश किया जाता है, जिससे आर्थिक अस्थिरता के कारण पेंशन लाभ प्रभावित हो सकते हैं। यदि बाजार में गिरावट आती है, तो सेवानिवृत्त व्यक्तियों की आय में कमी आ सकती है, जिससे उनकी वित्तीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
संक्रमण के अवसर
(1) वित्तीय स्थिरता: अंशदायी प्रणाली सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी को कम करती है, जिससे राजकोषीय घाटा नियंत्रित रहता है और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। यह प्रणाली सरकार को पेंशन व्यय को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
(2) व्यक्तिगत बचत को बढ़ावा: यह प्रणाली कर्मचारियों को बचत और निवेश के प्रति जागरूक बनाती है, जिससे उनकी वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ती है। यह प्रणाली लोगों को अपने भविष्य की योजना बनाने और वित्तीय अनुशासन अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
(3) नवाचार और विविधता: अंशदायी प्रणाली में विभिन्न निवेश विकल्प उपलब्ध होते हैं, जिससे पेंशन निधि का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है। यह प्रणाली वित्तीय बाजारों में विविधता लाने और निवेशकों को अधिक अवसर प्रदान करने में सहायक होती है।
(4) निजी क्षेत्र की भागीदारी: यह प्रणाली निजी क्षेत्र को पेंशन योजनाओं में शामिल करने की अनुमति देती है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। निजी क्षेत्र की भागीदारी से पेंशन योजनाओं में नवाचार और दक्षता बढ़ती है, जिससे लाभार्थियों को अधिक सुविधाएँ मिलती हैं।
(5) अंतरराष्ट्रीय अनुभव से सीख: कई देशों ने सफलतापूर्वक अंशदायी प्रणाली अपनाई है, जिससे भारत उनके अनुभवों से सीखकर अपनी प्रणाली को अधिक प्रभावी बना सकता है। भारत अन्य देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर अपनी पेंशन प्रणाली को अधिक स्थिर और समावेशी बना सकता है।
अंशदायी पेंशन प्रणाली में संक्रमण भारत के आर्थिक और जनसांख्यिकीय परिदृश्य के अनुरूप है। यह वित्तीय स्थिरता, व्यक्तिगत बचत और निवेश को बढ़ावा देता है, लेकिन निम्न आय वर्ग और प्रशासनिक जटिलताओं जैसी चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है। उचित नीतिगत सुधारों और प्रभावी क्रियान्वयन से इस प्रणाली को अधिक समावेशी और लाभकारी बनाया जा सकता है।